पिछले सप्ताह की बात है। हमारी वेबसाइट पर एक लेखक महोदय ने फॉर्म भरकर रजिस्ट्रेशन किया। नाम, ईमेल, फोन नंबर... सबकुछ। हमें भी लगा कि कोई गंभीर लेखक हैं, जो सच में अपनी किताब प्रकाशित कराना चाहते हैं।
प्रोटोकॉल के अनुसार, हमारी टीम ने उन्हें कॉल किया।
📞 ऑफिस से:
“नमस्कार सर, आपने हमारी वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन किया था, इसलिए आपको कॉल किया गया है।”
✍️ लेखक महोदय:
“हाँ जी, मैंने किया था। मुझे अपनी किताब पब्लिश करानी है। आप प्लीज़ प्लान्स और प्रोसेस समझा दीजिए।”
अब जब लेखक खुद कह रहे हैं कि उन्हें किताब छपवानी है, तो हमारी टीम भी प्रोफेशनल तरीके से पूरी जानकारी साझा करने में जुट गई।
15 से 20 मिनट की कॉल में, उन्हें पब्लिकेशन प्रोसेस समझाया गया।
सभी प्लान्स की जानकारी दी गई
ISBN, डिजाइनिंग, रॉयल्टी, मार्केटिंग जैसी बातें भी डिस्कस की गईं
और उनके हर सवाल का जवाब शांति व विस्तार से दिया गया
कॉल के अंत में उनकी आवाज़ से साफ लग रहा था कि वे संतुष्ट हैं और अब उन्हें "सही प्रकाशक" मिल गया है।
पर कहानी में ट्विस्ट तब आया जब लेखक ने पूछा—
“एक बात और बताइए... आपका ऑफिस कहाँ है?”
हमने जवाब दिया: “उत्तराखंड, नैनीताल।”
और लेखक ने तुरंत कहा: “ओह! नहीं-नहीं, मुझे नहीं कराना है। ये तो बहुत दूर है।” 😅
(शायद सोच रहे थे कि हमारा ऑफिस उनके घर की गली में होगा, सुबह टहलते हुए पांडुलिपि भी दे देंगे और शाम को छपी हुई किताब ले आएँगे!)
❓ सवाल यह उठता है:
जब एक व्यक्ति वेबसाइट खोलकर, पूरी जानकारी पढ़कर, रजिस्ट्रेशन तक करता है...
तो क्या वह “Contact Us” पेज पर जाकर ये नहीं देख सकता कि ऑफिस कहाँ स्थित है?
✔️ देख सकता है।
❌ लेकिन देखना नहीं चाहता।
ऐसे कई लेखक हैं जो बिना किसी वास्तविक उद्देश्य के सिर्फ "देखने के लिए", "समझने के लिए", या सिर्फ “ऐसे ही” रजिस्ट्रेशन कर देते हैं।
और जब उन्हें कॉल किया जाता है —
तो जवाब आता है:
"आप बहुत दूर हैं"
"अभी मन नहीं है"
"मेरे पास टाइम नहीं है"
"दोबारा से कॉल न करें"
"मैंने तो बस ऐसे ही रजिस्टर कर दिया था"
"घर में कोई करवाएगा, फिर देखेंगे..."
जब प्रकाशक पूरी ईमानदारी और प्रोफेशनल तरीके से व्यवहार करता है, समय देता है, जानकारी देता है —
तो कम से कम उम्मीद यही होती है कि लेखक भी अपनी ओर से थोड़ा संजीदगी दिखाएँ।
📌 निष्कर्ष:
👉 पब्लिशिंग एक प्रोफेशनल प्रक्रिया है, टाइमपास नहीं।
👉 अगर कोई लेखक सच में प्रकाशित करना चाहता है, तो स्थान कोई बाधा नहीं है।
👉 डिजिटल युग में दिल्ली से कन्याकुमारी तक की किताबें ऑनलाइन ही छपकर डिलिवर हो रही हैं।
👉 "दूरी" एक बहाना है, न कि समस्या।
🖊️ लेखक महोदय, अगली बार रजिस्टर करने से पहले कम से कम ये सोच लीजिए कि—
क्या आप सच में लेखक हैं, या बस वक़्त बिताने आए हैं? 🙂