About Me

मैं राजेन्द्र सिंह बिष्ट, उत्तराखंड के लोहाघाट जिले से हूँ। मुझे बचपन से ही कहानी-किस्सों, पौराणिक कहानियां और इतिहास की किताबों से लगाव या पढ़ने का शौक नहीं, बल्कि बहुत ज्यादा मोहब्बत रही है और आज भी पहले जैसी ही है। आज भी जब कभी समय मिलता है तो इतिहास और पौराणिक कहानियों की किताबें पढ़ता हूं। 

यह बात अलग है कि पिताजी के असमय स्वर्गवास हो जाने के कारण मेरा बचपन अन्य बच्चों की तरह नहीं बीत पाया, जिस कारण मेरी पढ़ाई बीच में ही छूट गई थी और जीवनयापन व पेट की भूख मिटाने के लिए ढाई सौ रूपये की नौकरी से शुरूवात की। नौकरी करते हुए हाईस्कूल तक पढ़ा, लेकिन कुछ मित्रों के समझाने के बाद पुन: चार वर्षाें के बाद इंटर प्राईवेट से किया और फिर पढ़ाई से दूर हो गया।

कुछ समय बाद एक मीडिया हाउस में नौकरी लग गई, तो मीडिया हाउस में प्रमोशन पाने के लिए पुन: पढ़ाई की ओर रूख किया और ग्रेजुएशन पूरा किया, लेकिन ग्रेजुएशन करने के बाद मीडिया हाउस में कोई प्रमोशन नहीं मिला, क्योंकि मेरे पास किसी बड़े व्यक्ति की सिफारिश नहीं थी। जिस कारण सिर्फ बेमन से जीवनयापन के लिए नौकरी करता रहा। यहाँ पर यह भी बताना चाहूंगा कि अब मैं रात की शिफ्ट में मीडिया हाउस में काम करता था और दिन में एक फोटोकॉपी की दुकान पर काम करता था, क्योंकि मीडिया में मेरी सेलरी इतनी अच्छी नहीं थी कि मैं अपने परिवार को अच्छे से चला सकूं। सुबह 9 बजे उठकर दुकान जाता था और शाम 6 बजे मीडिया हाउस की नौकरी पर जाना होता था। मीडिया ऑफिस में रात के लगभग 2 बजे छुट्टी होती थी, तब कहीं जाकर लगभग 3 बजे घर पहुंच पाता था, क्योंकि रात में कोई रिक्शा या बस नहीं होती थी, इसलिए वाहन न होने के कारण पैदल ही घर जाना होता था।

इस तरह से दिन और रात दो नौकरी करके अपने परिवार को संभालने का प्रयास कर रहा था, क्योंकि एक नौकरी से किराए के घर में जीवनयापन करना संभव नहीं हो पा रहा था। इस तरह से जिंदगी को बिना किसी उद्देश्य के धक्का दे रहा था। मन में यह भी आता था कि शायद कभी तो मुझे जीवन में कुछ आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा, लेकिन जिनके पास कोई सिफारिश या पैसा या अपना खुद का घर नहीं होता है, वे सिर्फ अपनी जिंदगी को घिसट-घिसटकर जीने के लिए ही धरती पर पैदा होते हैं।

फिर कई वर्षाें तक मीडिया में कार्य करने के बाद अपना खुद का व्यवसाय करने के लिए मैं प्रयास करता रहा, लेकिन कई प्रयासों के बाद भी असफल रहा, क्योंकि मेरे पास पूंजी नहीं थी। अतंत: कुछ समय बाद मैंने कुछ पूंजी जमा की और प्रिन्टिग क्षेत्र के बारे में जानकारी हासिल की, पब्लिशिंग के क्षेत्र में कदम रखा। मैं यहाँ पर उन प्रिन्टिग प्रेस मालिकों का धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने मेरी शुरूवात के लिए उधार में काम किया।

शुरूवात में लेखकों ने मुझे हतोत्साहित किया, जिस कारण मैं अपने इस व्यवसाय में भी हार मानने लगा था, यहाँ तक अपने जीवन को खत्म करने के लिए विचार मन में आने लगे थे और दोबारा से नौकरी करने का मन बनाने लगा, लेकिन मैंने सोचा कि मैं कब तक भागता रहूंगा। उसके बाद मैंने पब्लिशिंग क्षेत्र के बारे में बारिकी से अध्ययन किया और जाना कि पब्लिशिंग क्षेत्र जैसा लेखकों ने भ्रांति फैलाई हुई है, वैसा कुछ भी नहीं है। समय बदल रहा है, सब कुछ डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन कुछ लेखक इसे नहीं मानना चाहते हैं या कह सकते हैं कि वे कुछ लेखक समय के साथ नहीं बढ़ना चाहते हैं।

मैंने अपने जीवन से सीखा है कि आपकी सफलता के लिए आपको खुद ही काम करना होगा। यदि आप खुद कुछ नहीं करना चाहते हैं या बिना कुछ करे सफलता पाना चाहते हैं या सिर्फ चंद कदम चलकर सफलता पाना चाहते हैं तो कोई आपको सफल नहीं कर सकता है। मैंने जीरो नंबर से शुरू किया था, साथ ही कई बार असफलता भी मिली और आज भी दिन रात काम करता हूँ, जिससे मैं अपनी सफलता को पा सकूं।

मैं आज भी किराये के घर में रहता हूँ, क्योंकि झूठ बोलकर या धोखा देकर पैसा कमाना मैं कभी नहीं सीख पाया हूँ और न ही सीखना चाहता हूँ। मेरे पब्लिकेशन के पुराने लेखक मेरे पब्लिकेशन के साथ जुड़े हुए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मेरे यहाँ पर धोखा नहीं दिया जाता है, झूठ नहीं बोला जाता है। भले ही हमारे पब्लिकेशन को कम काम मिले, लेकिन लेखकों से झूठ बोलकर बड़े-बड़े सब्जबाग नहीं दिखाए जाते हैं, बल्कि जो सच है वही बोला जाता है और वही दिया जाता है।

मैंने अपने पब्लिशिंग करियर में कई लेखकों से बात की है और महसूस किया कि ज़्यादातर लेखक प्रकाशन उद्योग के बारे में ठीक से नहीं जानते, जिसके कारण लेखक हमेशा अपने लेखन करियर में असफल होते हैं। ऐसे लेखकों के लिए मैंने 'बेस्ट सेलर लेखक कैसे बनें' पुस्तक लिखी है और यह पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। 

इस पुस्तक में लेखक जान पाएंगे कि वे अपने लेखन करियर में क्यों असफल होते हैं और वे अपने लेखन करियर में कैसे सफल हो सकते हैं। यह पुस्तक प्रकाशन उद्योग में मेरे 7+ वर्षों के अनुभव पर आधारित है, जो लेखकों की मानसिकता को बदल देगी और उनके लिए एक सफल लेखक बनने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

मेरी किताबों का विवरण