उनकी दुनिया के बाहर

चित्रकारो, राजनितिज्ञो, दार्शनिको की

दुनिया के बाहर

मालिको की दुनिया के बाहर

पिताओ की दुनिया के बाहर

और बहुत से काम करती है।

वे बच्चे को बैल जैसा बलिष्ठ

नौजवान बना देती है।

आटे को रोटी मे

कपड़े को पोशाक में

और धागे को कपड़े मे बदल देती है।

वे खंडहरो को

घरो मे बदल देती है

और घरो को र्स्वग में।

वे काले चुल्हे की

मिटटी से चमका देती है

और तमाम चीजो संवार देती है।

वे बोलती है और

कई अंधविश्वासो को जन्म देती है व

कथाऐं व लोकगीत रचाती है।

बाहर कही की दुनिया के आदमी को

देखते ही खामोश हो जाती है।

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