कौन है हम

कौन है हम और है आये कहां से

क्या है हमारा ठिकाना

हंस देते है हम, जो पुछे है हमसे

बाते यही है जमाना।


गाते है क्यूं और चिल्लाते है क्यूं हम

बेकार है ये बताना

हमारे लिये तो लहू गर्म रखने का

छोटा सा है इक बहाना।


मगर याद रखना, लहू की हमारे

जो गर्मी रहेगी, यहां पर

उसे अपने खूं की, हर इक बूंद से है

उसी से है उबाला लगाना।


आये है हम तो, चले जायेगें भी

रह जायेगा ये तराना

कसम है तुम्हे कि हां बाद हमारे

तुम भी इसे गुनगुनाना।

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