मै जिन्दगी की राह बनाने मे रह गया

मै जिन्दगी की राह बनाने मे रह गया। 

सोया हुआ नसीब जगाने मे रह गया।।

तूफान मे सारा मकान ढ़ेर हो गया। 

मै दीवार और दर को सजाने मे रह गया।।

मेरे करीब न आ सकी मेरी नेकिया।

मै दूसरो पर दोष लगाने मे रह गया।।

मै रेत का महल था मुझे ढहा दिया गया।

दुनिया को अपना दर्द सुनाने मे रह गया।।

वो यू गया कभी मुझे मिल ना सका।

मै उम्र भर अफसोस जताने मे रह गया।।

हर दर्द हर रंज को छिपाने मे रह गया।

गम बता दिये होते तो ये गजल ही ना बनती।

इसलिये तो उम्र भर गजल बनाने मे ही रह गया।।

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