खौफ

अरे गुप्ता जी, कहां हो जल्दी आओ, चौहान जी चिल्लाते हुए गुप्ता जी के घर के बाहर खडे होकर आवाज लगाते है।

अरे चौहान जी क्या हुआ जो इतनी सुबह पागलो की तरह चिल्ला रहे हो, गुप्ता जी अंगडाई लेते हुऐ बोले।

गुप्ता जी, ये देखो हमने पिछले एक साल से सडको के गडढे भरवाने के लिये सरकारी कार्यालय और पता नही कहा-कहा जाकर अपने पैरो की कितनी चप्पल घिस ली और तो अपने मौहल्ले के सभासद से कह-कहकर तो हमे ही शर्म आने लगी थी लेकिन आज ये सडके रातो रात नई हो गई।

अरे, चौहान जी तुम भी दुनियादारी से दूर रहते हो और दूसरो की भी नींद खराब कर देते हो, गुप्ता जी नीदं की खुमारी मे झुझलाते हुए।

गुप्ता जी, मै तो आपको बस यही दिखा रहा था कि ये सड़के आज पता नही कैसे ठीक हो गई वो भी रातो रात, चौहान जी गंभीर होते हुए बोले।

शायद चौहान को ऐसा नही कहना चाहिए, गुप्ता जी मन ही मन सोचते हुए।

चौहान, आ यार चल चाय पीते है तेरी भाभी चाय पीने को बुला रही है, गुप्ता जी मसखरी करते हुए कहते है।

नही गुप्ता जी, मेरी बीबी ने चाय बना रखी है, मै घर पर जाकर ही पीउगां, चौहान जी गंभीरता का चौला ओढते हुए बोले।

चौहान जी, मेरी बात को गंभीरता से मत लेना, भई तुमने मेरी नींद खराब कर दी इसलिये झुझलाहट हो गई।

कोई बात नही गुप्ता जी, बडे छोटो को कह सकते है, बड़ो के प्रति आदर दिखाते हुए।

चौहान जी, तुम भी पता नही आफिस और घर के सिवा मोहल्ले मे भी देख लिया करो।

गुप्ता जी, क्या फायदा! सड़क को ठीक कराने लिये मैने कितने चककर लगाये, कितनी सरकारी अधिकारियो की गाली सुनी लेकिन मै पिछले महिने से इन सबसे तौबा कर सिर्फ अपने व्यापार मे ही ध्यान लगा रहा हंू।

चौहान जी, बहुत बढिया किया तुमने मै भी परेशान था और तो मोहल्ले मे कोई साथ खड़े होने को तैयार नही होता। अकेला चना भाड़ नही फोड सकता बस मैने भी छोड दिया। बस अपने काम से काम रखता हूं।

चौहान साहब अपना सवाल नही भुले थे और दागते हुए बोले, लेकिन ये सड़क कैसे बनी?

चौहान जी, खुद को समाज से इतना दूर भी नही करना चाहिए कि आस पास क्या हो रहा है उसका भी पता ना चले।

गुप्ता जी मै आपका मतलब नही समझे, चौहान जी अचभिंत होकर।

तुम भी चौहान जी, खैर छोडो। मौहल्ले मे जो अपने सभासद ठाकुर साहब है ना, उनकी राजनीतिक पार्टी मे उनकी पदोन्नति हो गई है इसलिये आज दोपहर मे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आज ठाकुर साहब के निवास पर आ रहे है, गुप्ता जी समझाते हुए।

चौहान भावावेश मे आकर, लेकिन इससे सड़क के ठीक होने का क्या मतलब है, जो आज तक नही हुई और सभासद ठाकुर को भी बहुत........

गुप्ता जी बात काटते हुए, अरे चौहान जी जिस पार्टी की सरकार चल रही हो उसका खौफ तो सभी को होता है चाहे वो अधिकारी हो या नेता। भले ही नेता और अधिकारी कागजो मे सारे अधूरे कार्य पूर्ण कर देते हो लेकिन..........

अब की चौहान जी बात को बीच मे काटते हुए, समझ गया गुप्ता जी, ये सब हमारे नेताओ, सरकारी अधिकारियो की मिलीभगत है और ये ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है।

ससुरे सभी एक थाली के चटटे बटटे है, चौहान जी बुदबुदाते हुए अपने घर की तरफ चल दिये।

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